पंजवक़्ता नमाज़ में सुस्ती और वज़ीफ़े पढ़ना || Farz Namaz Ki Jagah Wazifa Padhna Kaisa Hai
पंजवक़्ता नमाज़ में सुस्ती और वज़ीफ़े पढ़ना :
काफ़ी लोग देखे गए कि वह नमाज़ों का ख़्याल नहीं रखते, और पढ़ते भी हैं तो वक़्त निकालकर जल्दी-जल्दी या बे'जमाअ़त के, और वज़ीफ़ों और तस्बीहों में लगे रहते हैं। उनके वज़ीफ़े उनके मुंह पर मार दिए जाएंगे, क्यूंकि जिसके फ़र्ज़ पूरे न हों उसका कोई नफ़्ल क़ुबूल नहीं। इस्लाम में सबसे बड़ा वज़ीफ़ा और अमल नमाज़े बा'जमाअ़त की अदाएगी है।
"आला हज़रत" फरमाते हैं: जब तक फ़र्ज़ ज़िम्मे बाक़ी रहता है कोई नफ़्ल क़ुबूल नहीं किया जाता।
(अल'मलफूज़, हिस्सा अव्वल, सफ़ह 77)
हदीस शरीफ़:- में है कि हज़रते उ़मर ने एक दिन फ़जर की जमाअ़त में हज़रते सुलेमान बिन अबी हसमा को नहीं पाया! दिन में बाज़ार को जाते वक़्त उनके घर के पास से गुज़रे तो उनकी मां से पूछा कि आज सुलेमान जमाअ़त में क्यों नहीं थे?_
उनकी वालिदा हज़रते शिफ़ा ने अर्ज़ किया कि रात भर जागकर इबादत करते रहे, फ़जर की जमाअ़त के वक़्त नींद आ गई और जमाअ़त में शरीक होने से रह गए। अमीरुल मोमिनीन हज़रते उमर फ़ारुक़-ए-आज़म रदियल्लाहु तआ़ला अन्हु ने फ़रमाया कि "मेरे नज़दीक सारी रात जागकर इबादत करने से फ़जर की जमाअ़त में शरीक होना ज़्यादा अच्छा है"_
📚 (मिश्कात, बाबुल जमाअ़त, सफ़ह 97)
📚 (ग़लत फ़हमियां और उनकी इस्लाह-हिन्दी, सफ़ह- 36)
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