मस्जिदों की दीवार पर कव्वाली के पोस्टर लगाना सख्त हराम हैं...
MASZID KI DEEWAR PAR QAWWALI KE POSTER LAGANA HARAM HAI:
🔶मस्जिदों की दीवार पर कव्वाली के पोस्टर लगाना सख्त हराम हैं:
*सबसे पहले हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम ने क्या फ़रमाया वो देखते है:*
➤ हदीसे पाक में है हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि ज़रूर मेरी उम्मत में ऐसे लोग होने वाले हैं जो ज़िना,रेशमी कपड़ों,शराब और बाजों ताशों को हलाल ठहरायेंगे.*📕 बुखारी शरीफ,जिल्द 2,सफह 837*
➤ दूसरी जगह आप सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि अल्लाह अज़्ज़वजल ने मुझको ढ़ोल ताशों और बांसुरियों को मिटाने का हुकम दिया.
*📕 मिश्क़ात शरीफ,बाबुल इमारत*
अब इस हदीस शरीफ़ से ये साबित होता है कि को आजकल के आस्तानो और मजारो पर जो कव्वालियां और समआ होती है, वो पूरी तरह से हराम है.
➤ और ये भी जान ले की हराम काम में किसी भी तरह की मदद करना या उसमे शिरक़त करना भी ना-जायज़ और हराम है.*
अब कव्वाली के बारे में उलेमाओं ने क्या फरमाया वो देखते है:
*📕 अहकाम ए शरीयत.*
➤ हुज़ूर महबूबे इलाही रज़ी अल्लाहु तआला अन्हु की मजलिस में मज़ामीर न होता था और ना ही ताली बजायी जाती थी और अगर कोई शख्स खबर करता कि फलां शख्स मज़ामीर के साथ कव्वाली सुनते हैं तो आप फरमाते कि अच्छा नहीं करते.
*📕 तारीख़ुल औलिया,सफह 152*
➤ खुद महबूबे इलाही रज़ी अल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि मज़ामीर हराम अस्त यानी म्यूज़िक हराम है.
*📕 फुवादुल फुवाद शरीफ,जिल्द 3,सफह 512*
➤ म्यूज़िक के साथ कव्वाली गाने वाला, कव्वाली सुनने वाला और कव्वाली का प्रोग्राम करवाने वाले सब के सब सख्त गुनहगार हैं..
*📕 फतावा रज़विया.*
एक जरूरी बात और याद रखे कि आजकल के दरगाहों, खानकाओं में किसी काम के होना ना होना कोई शराई दलील नहीं है, अब अगर आजकल का कोई पीर या दरगाह का गद्दीनशीं म्यूज़िक के साथ कव्वाली सुने ती वो भी सख्त गुनहगार होगा और कोई अगर हराम काम को हलाल जानकर करे तो वो कुफ्र तक हो सकता है.
*मौला तआला से दुआ है कि तमाम बहके हुए मुसलमानो को हिदायत अता फरमाये और हम सबको मसलके आलाहज़रत पर सख्ती से क़ायम रहने की तौफीक़ अता फरमाए-आमीन*
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