सुब्हान अल्लाह ! रोज़े रखने से कैंसर की बीमारी नहीं होती,पोस्ट को पढ़कर दुसरो तक शेयर करें (Roza Rakhne Se Cancer Ki Bimari Nahi Hoti)
रमज़ान रम्ज़ से बना है जिसके मायने है जलाना चुंकि ये महीना भी मुसलमानो के गुनाहों को जला देता है इसलिये इसे रमज़ान कहा गया या रम्ज़ का एक मायने गर्म जमीन से पांव जलना भी है चुंकि माहे रमज़ान में मुसलमान अपने नफ़्स को भी जलाता है इसलिए ये नाम पड़ा या रमज़ान गर्म पत्थर को भी कहते हैं चुंकि जब इस महीने का नाम रखा गया वो मौसम भी सख्त गर्मी का था.
गुनियतुत तालेबीन,जिल्द 2,सफह 5
कुरआन शरीफ़ : ऐ ईमान वालो तुम पर रोज़े फर्ज़ किये गए जैसे अगलों पर फर्ज़ हुए थे कि कहीं तुम्हें परहेज़गारी मिले.गिनती के दिन हैं,तो तुम में जो कोई बीमार या सफर में हो इतने रोज़े और दिनों में और जिन्हे इसकी ताक़त ना हो वो बदला दें एक मिस्कीन का खाना,फिर जो अपनी तरफ से नेकी ज़्यादा करे,तो वो उसके लिए बेहतर है और रोज़ा रखना तुम्हारे लिए ज़्यादा भला है अगर तुम जानो.रमजान का महीना जिसमे क़ुर्आन उतरा लोगों के लिए हिदायत और रहनुमाई और फैसले की रौशन बातें तो तुम में जो कोई ये महीना पाये ज़रूर इसके रोज़े रखे,और जो बीमार या सफर में हो तो इतने रोज़े और दिनों में अल्लाह तुम पर आसानी चाहता है और तुम पर दुशवारी नहीं चाहता और इसलिए कि तुम गिनती पूरी करो,और अल्लाह की बड़ाई बोलो इस पर कि उसने तुम्हें हिदायत की और कहीं तुम हक़ गुज़ार हो.और ऐ महबूब जब तुमसे मेरे बन्दे मुझे पूछें तो मैं नज़दीक हूं,दुआ क़ुबूल करता हूं
पुकारने वाले की जब मुझे पुकारें,तो उन्हें चाहिये मेरा हुक्म मानें और मुझ पर ईमान लायें कि कहीं राह पायें.रोज़े की रातो में अपनी औरतों के पास जाना तुम्हारे लिए हलाल हुआ,वो तुम्हारा लिबास है और तुम उनके लिबास,अल्लाह ने जाना कि तुम अपनी जानों को खयानत में डालते थे तो उसने तुम्हारी तौबा क़ुबूल की और तुम्हें माफ फरमाया,तो अब उनसे सोहबत करो,और तलब करो जो अल्लाह ने तुम्हारे नसीब में लिखा हो,और खाओ और पियो यहां तक कि तुम्हारे लिए ज़ाहिर हो जाये सफेदी का डोरा स्याही के दौरे से,फिर रात आने तक रोज़े पूरे करो,और औरतों को हाथ ना लगाओ जब तुम मस्जिदों में एतेकाफ से हो,ये अल्लाह की हदें हैं उनके पास ना जाओ अल्लाह युंही बयान करता है लोगों से अपनी आयतें कि कहीं उन्हें परहेज़गारी मिले.
पुकारने वाले की जब मुझे पुकारें,तो उन्हें चाहिये मेरा हुक्म मानें और मुझ पर ईमान लायें कि कहीं राह पायें.रोज़े की रातो में अपनी औरतों के पास जाना तुम्हारे लिए हलाल हुआ,वो तुम्हारा लिबास है और तुम उनके लिबास,अल्लाह ने जाना कि तुम अपनी जानों को खयानत में डालते थे तो उसने तुम्हारी तौबा क़ुबूल की और तुम्हें माफ फरमाया,तो अब उनसे सोहबत करो,और तलब करो जो अल्लाह ने तुम्हारे नसीब में लिखा हो,और खाओ और पियो यहां तक कि तुम्हारे लिए ज़ाहिर हो जाये सफेदी का डोरा स्याही के दौरे से,फिर रात आने तक रोज़े पूरे करो,और औरतों को हाथ ना लगाओ जब तुम मस्जिदों में एतेकाफ से हो,ये अल्लाह की हदें हैं उनके पास ना जाओ अल्लाह युंही बयान करता है लोगों से अपनी आयतें कि कहीं उन्हें परहेज़गारी मिले.
पारा 2,सूरह बक़र,आयत 183-187
➤ Roza Rakhne Se Cancer Ki Bimari Nahi Hoti :
रोजा रखने से बहुत सारे फायदे भी हैं। यह बात नसीम इंटर कॉलेज के प्राध्यापक आदिल हुसैन ने कही है। आदिल हुसैन कहा कि जापानी साइंटिस्ट डॉक्टर यशरा आशमी जिनको 2016 में मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्होंने भी कहा है कि अगर इंसान साल में 20 से 25 दिन 9 से 10 घंटे भूखा है तो उसे कैंसर का खतरा कम हो जाता है। क्योंकि इंसान अगर भूखा रहेगा तो चंद घंटों में उसके शरीर का खुराक खत्म हो जाएगा और उसके जहरीले सेल मरने लगेंगे। इससे कैंसर का खतरा बहुत कम हो जाएगा।
इन दिनों दुनियाभर में कैंसर तेजी से फैल रहा है और दुनियाभर में हर साल करीब 2 करोड़ लोग इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि अगर शुरुआती स्टेज में ही कैंसर का पता चल जाए तो सर्वाइवल के चांसेज बढ़ जाते हैं।
रमज़ान के रोज़े इस्लाम की पाँच बुनियादों में से एक बुनियाद और सबसे ज्यादा अहम व ज़रूरी अहकाम में से एक हुक्म है, जान बूझकर रमज़ान के रोज़े न रखने वाला सही मआना में मुसलमान नहीं है। अल्लाह पाक से दुआ है की हमें रोज़ा रखने तौफीक अता फरमाए...
Aameen
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